समुद्र का पानी खारा और नदी का पानी मीठा क्यों होता है?

समुद्र का पानी खारा और नदी का पानी मीठा क्यों होता है? हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन के लिए पानी कितना आवश्यक है बिना पानी के इस  जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, पानी का उपयोग पीने के अलावा भी हमारे देनिक  कार्यों में विशेष रूप से होता हैं हमारी पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा समुद्र से भरा हुआ है लेकिन समुद्र का पानी खारा है और इसमें बहुत अधिक मात्रा में नमक जिसकी वजह से हम इसे पी या अपने देनिक कार्यों में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं किंतु समुद्र का पानी खारा क्यों होता है जबकि नदियों से ही ये पानी समुद्र में जाता है और नदियों का पानी खारा नहीं होता तो जानने के लिए बनी रहिये इस ब्लॉग के साथ, नदियों में पानी बारिश से आता है और जब बारिश होती  है तो बरश्ते समय ये पानी हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों के संपर्क में आकर अमलीये  हो जाता है जब यह पानी जमीन, चट्टानों और पहाड़ों पर गिरता है तो बारिश के पानी में सतह पर मौजूद लवन यानी की सोल्ट इनके साथ में घुल जाते हैं जिससे ये थोड़ा खारा हो जाता है.

 

अब चुकी नदियों में पानी लगातार बहता रहता है और पृथ्वी की मिट्टी में मोजूद मिनरल्स (लवन) इस पानी के संपर्क में आने पर घुलते रहते हैं और ये पानी आगे बढ़ता रहता है जिससे लवण आगे इस समुद्र में चला जाता है जिससे नदी के पानी में इनकी कुछ मात्रा पाई जाती है जीस वजह से ये बहुत ही कम खारा होता है और हमें पता नहीं चलता बल्कि हमें पीने में ये मीठा लगता है ये तो हुई नदी और झीलों की बात अब समुद्र का पानी नमकीन क्यों होता है इस पर बात करते हैं नदियों का पानी जब्त समुद्र में पहुंचता है तो अपने साथ समुद्र में लवन यानी की सोल्ट को भी लेकर जाता है और लाखों सालों से नदियों द्वारा लाया गया ये लवण समुद्र में इकट्ठा होते जा रहा है समुद्र के पानी का लगातार वाष्पन यानी की (evaporation) होते रहता है

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और इस वाष्पन में समुद्र से पानी तो वाष्प बनकर निकल जाता है किंतु समुद्र में मौजूद लवण (नमक) धीरे धीरे उसमें जमा होते रहते हैं और यही प्रक्रिया समुद्र में हजारों लाखों वर्षों से होती चली आ रही है जिसकी वजह से ये और भी खराब होती जा रहा है समुद्र के पानी का खतरा होने का एक कारण और भी हैं वो ये है की समुद्र में ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं और इस ज्वालामुखी से भी समुद्र में लवन घुलते रहते हैं.

 

इसके अलावा समुद्र में मौजूद सोडियम और क्लोरिन के रिएक्शन से नमक बनता रहता है जिस कारण भी समुद्र का पानी खारा हो जाता है जिससे नमक को हम खाते हैं और सोडियम और क्लोरीन का ही यौगिक यानी की कंपाउंड होता है समुद्र के जल में औसतन 3.5% का लवनाश यानी की साल्ट कॉन्टैन पाया जाता है यानी प्रति 100 ग्राम जल में करीब 3.5 ग्राम लवन मोजूद होता है समुद्र का पानी खारा क्यों होता है इसे आप घर के एक example  से भी समझ सकते हैं इसे समझने के लिए आपको कूलर की ओर अपने ध्यान को केन्द्रित करना होगा गर्मी के दिनों जब हम कूलर में पानी भरकर चलाते हैं तो कुछ दिनों तक तो कूलर के अंदर की सतह पर कुछ नहीं होता किंतु रोज़ रोज़ नया-नया पानी कूलर में डालने और फिर यही पानी गर्मी के कारण कूलर के पंखे द्वारा भाव बन कर उड़ जाता है किंतु पानी में मौजूद है लवण और दुसरे मिनरल्स  कूलर में ही बचे रहते है जिससे कूलर में बचा पानी संथ यानी जमा होता जाता है और धीरे धीरे यह सफेद पगड़ी के रूप में कूलर की दीवारों पर दिखाई देना चालू हो जाता है यही सफेद पपड़ी नमक और पानी में मौजूद दूसरे मिनरल्स होते ही जो धीरे धीरे पानी को नमकीन और हार्ड बनाते जाते हैं इसी समझने की आप यहाँ कूलर में डालने वाले पानी को नदी से समुद्र में मिलने वाला पानी मान सकते हैं और कूलर के टैंक को समुद्र मान सकते हैं जिससे आपको पता लग जाएगा कि कैसे समुद्र का पानी धीरे-धीरे  मोटा  और खारा होता जाता हैं लेकिन अब आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा इस तरह तो समुद्र का पानी निरंतर मोटा और खारा होता जा रहा होगा तो ऐसा बिल्कुल नहीं है दरअसल समुद्र में मौजूद लवण का उपयोग शल्कधारी (कवच वाले जीव) समुद्री जीव जंतु अपना खोल बनाने के काम में लेते है और इन जीवों के मरने पर ये खोल चुने के पत्थर का रूप लेकर समुद्र की सतह पर आ जाते हैं और भू सतह की हलचल से समुद्र से बाहर निकल जाते हैं ये वही चूना होता है जिसका खनन करके घरों के काम में लिया जाने वाला छूना बनाया जाता है यही प्रक्रिया चलती रहने से करोड़ों सालों से समुद्र के पानी का खारापन वैसा ही बना हुआ समुद्र के पानी का खारापन एक दूसरे तरीके से भी दूर होता है समुद्र खाने के नमक का एक बहुत बड़ा स्रोत है जहाँ से बड़ी मात्रा में नमक निकाला जाता है जिंस को शुद्ध करके हमारे खाने व कई उद्योगों में बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है कास्टिक सोडा बनाने में भी इसका उपयोग रॉ मटेरियल की तरह होता है इस प्रकार समुद्र में नमक बनता भी रहता है और निकलता भी रहता है और यही प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है.

 

डैड सी (dead sea) जिससे कि मृत सागर भी कहते हैं ये सभी अन्य सागरों से सबसे अधिक खतरा होता है इस समुद्र का पानी इतना अधिक खारा है कि इसमें कोई भी जीत नहीं रह पाता है यहाँ न तो कोई पेड़ पौधा है और ना ही कोई घास इसके पानी में पोटाश, ब्रोमाइड, जिंक,  मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसी मिनरल साल्ट भी काफी मात्रा में है. डेड सी के अधिक भरा होने का कारण है इसका छोटा होना डेड सी  इतना खारा होता है कि इसे खारे पानी की अरबी जील  भी कहा जाता है डेड सी का खारापन सामान्य समुद्र से 7  से 10 गुना अधिक होता है इस सागर मेँ लगभग 33.7% लवांश यानी की साल्ट कॉन्टेंट पाया जाता है यानी प्रति 100 ग्राम जल में करीब 33.7 ग्राम होता है इसका कारण यह है ये अन्य समुद्रो से अलग थलग और उन सागरों के साथ ना तो इसका पानी मिलता है ना ही उन सागरों का पानी इसमें आता है साथ ही इस सागर में वाष्पीकरण (evaporation) बहुत अधिक मात्रा में होता है इसलिए लवणों का कन्शनट्रेशन भी बहुत तेजी से होता है इतनी अधिक खारेपन के कारण मृत सागर का उछाल यानी की Buoyancy असामान्य रूप से अधिक होती है और इसकी Buoyancy इतना अधिक होती है कीआदमी भी इस समुद्र में नहीं डूबता है

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पृथ्वी के न्यूनतम बिंदु पर स्थित मृत सागर इजराइल और जॉर्डन के बीच में है. ये सागर सबसे कम जगह में फैला है ये अन्य महासागरों की तुलना में काफी छोटा है या केवल 8  मील लम्बा और 11 मील चौड़ा है तीन पर्वत मालाओं से इस सागर का स्तर पृथ्वी  की सतह से लगभग 1375 फुट या 420 मीटर गहरा है और समय से करीब 2400 फुट नीचे हैं समुद्र करीब 3,00,000 वर्ष पुराना है इसमें नदियों एवं वर्षा से ताजा पानी आते तो रहता है लेकिन यहाँ का वातावरण और हवा काफी ट्राई यानी की सोसित है. जिससे पूरे साल तापमान गर्म रहता है इस कारण से यहाँ वाष्पीकरण बहुत तेजी से होता है और इसका पानी हर साल एक मीटर से भी अधिक कम हो जाता है और इस कारण से इसकी लवणता बढ़ती जाती है और धीरे धीरे और भी खार होते जा रहा है अब तो आप समझ ही गए हो की नदियों का पानी मीठ और समुद्र का पानी इतना अधिक खारा क्यों होता है.

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