करोड़पति IITIAN जो बना आदिवासी लेकिन क्यों ?

करोड़पति IITIAN जो बना आदिवासी लेकिन क्यों ?

क्या आप किसी ऐसे आदमी को जानते है जिसके पास बहुत सारी सम्पति हो फिर भी वो आदिवासीयो के साथ झोपड़ी में रहता है|

तपती धूप में साइकिल पर घूमकर गांव में पेड़ लगाने वाले इस बुढ़े व्यक्ति को कोई नहीं बता सकता कि उन्होंने अमेरिका से पीएचडी की है और आईआईटी दिल्ली में एक प्रोफेसर की पढ़ाई की है जहाँ भारत के पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन जी उनके स्टूडेंट थे. 1982 में, श्री आलोक सागर जी ने अपनी नौकरी छोड़ दी और एक आदिवासी गांव में बस गए जहाँ पे ना तो बिजली थी ना ही सड़क उनका ये मानना था की आदिवासी ही प्रकति के सचे प्रेमी है.और उन्होंने उन आदिवासी लोगो के साथ मिल के 50 हजार से भी ज्यादा पेड़ लगाये| उन आदिवासीयो को आलोक सागर जी के बारे में कुछ भी पता नहीं था लेकिन जब 1 दिन पुलिस ने उनको संदिग्ध समझते हुए हिरासत में लिया तो पता चला कि आलोक सागर जी के पिता एक वरीष्ठ आईआरएस अधिकारी हैं आलोक सागर जी के पास दिल्ली  में लाखो की की सम्पति है फिर भी वो इन आदिवासी के साथ एक झोपड़ी में अपना जीवन बीता रहे है. उनका जीवन एक उदाहरण है कि अगर आप अपने लक्ष्य को पूरा करने में लगे रहते हैं, तो आपको किसी भी चीज़ से फर्क नहीं पड़ता | साथ ही वे आदिवासी बच्चों को पढ़ते ही थे|

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