ट्रेन की पटरियों पे जंग क्यों नहीं लगता ?

आप ने अपने आस-पास बहुत बार देखा होगा की रोड पे या घर में लोहे की कुछ चीजो पे जंग लगते हुए ये चीज ज्यादातर बारिश के मौसम में होता है लेकिन आपने कभी ये सोच है की ट्रेन की पटरियों पे जंग क्यों नहीं लगता ? इस ब्लॉग में मैं आप को इसकी सही वजह बताउगी.

देखिये जब किसी लोहे की चीज़ को खुले में रख देते हैं तो उसमें कुछ

जंग

इस तरह से जंग लग जाती है और वो दिखने में काफी बेकार सी दिखती है लेकिन अगर पटरियों की बात की जाये तो चाहे दो महीने बीत जाए या दो साल उसमें जंग नहीं लगती, जबकि वो भी बने तो लोहे के ही होते हैं लेकिन फिर आखिर इसमें जंग क्यों नहीं लगती देखिये किसी भी लोहे मैं जंग तभी लगता है जब वो ऑक्सीजन या मॉइस्चर के कॉन्ट्रैक्ट में आता है और बाकी कोई लोहा इन दोनों के कॉन्टैक्ट में आये ना आये  ट्रेन की पटरी तो चौबीसों घंटे हवा पानी या बर्फ़ से घिरी रहती है फिर भी इनमें जंग क्यों नहीं लगती तो  देखिए पटरी को बनाने के लिए केवल आयरन या स्टील को नहीं लिया जाता है बल्कि इसके अंदर इन चीजों के अलावा लगभग 10% तक मैंगनीज (Manganese) को भी मिलाया जाता है और यह पदार्थ किसी भी लोहे में जल्दी जंग को नहीं लगने देता है इसके कारण ट्रेन की पटरियों में जंग लगने में काफी समय लग जाता है और गलती से अगर पटरियों पे थोडा जंग लग भी जाये तो उसी वक्त साफ करने के लिए ट्रेन के वील्स तो होते ही है|

 

पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

ऑक्सीडेशन क्या होती है?

ऑक्सीडेशन एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें किसी वस्तु के अणुओं में ऑक्सीजन के साथ रिएक्ट होकर रंगत में परिवर्तन होता है।

लोहे की चीज़ों में जंग क्यों लगती है?

लोहे की चीज़ों में जंग उनमें ऑक्सीडेशन की क्षमता के कारण लगती है, जो उनमें डायवर्ट करने के लिए अन्य धातुओं के साथ मिलते हैं।

पटरियाँ कैसे बनती हैं?

पटरियाँ बनाते समय लोहे के साथ अन्य धातुएं भी मिलाई जाती हैं, जो ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया को कम करते हैं और जंग लगने से बचाते हैं।

मौसम के परिवर्तन का क्या असर होता है?

मौसम के परिवर्तन से पटरियों के अंदर ऑक्सीजन की पहुंच में बदलाव होता है, जिससे ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया कम हो जाती है।

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